148/2024, बाल कहानी-22 अगस्त


बाल कहानी- बहन का प्यार
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सीमा नाम की एक अनाथ लड़की थी, जिसके दो भाई और एक बहन थे। सीमा सबसे बड़ी थी। अपने भाई-बहनों के साथ गुजर-बसर कर रही थी। पड़ोस में घर का कार्य करती थी। जिससे जो पैसा मिलता, उससे अपने भाई-बहन की परवरिश करती। सीमा के ताऊ शहर में रहते थे लेकिन वह उन बच्चों का कोई भी ध्यान नहीं रखते थे। देखते ही देखते भाई-बहन बड़े होने लगे। सीमा की जिम्मेदारी और बढ़ गयी। तीनों-भाई बहन सीमा की बात मानकर पढ़ाई करने लगे। एक दिन सीमा घर वापस आ रही थी। उसको रास्ते में एक बैग मिला। उसने चारों तरफ देखा लेकिन कोई दिखाई नहीं दिया तो वह उसे बैग को घर ले आयी। उसने खोलकर देखा तो उसमें बहुत सारे रुपये थे। सीमा परेशान हो गयी कि पता नहीं, किसका यह बैग है? एक हफ्ते तक वह उस बैग को साथ लेकर जाती, शायद रास्ते में इसका मालिक मिल जाये। 
एक दिन जब वह उसी रास्ते पर जा रही थी, वहाँ पर एक बुजुर्ग आकर बैठे हुए थे और उनकी आँखों में आँसू भी थे। सीमा ने उनसे पूछा कि-, "बाबा! क्या बात है, आप रो क्यों रहे हो?" तब बाबा ने सारा हाल बताया कि-, "मैं इसी रास्ते से जा रहा था और मेरा बैग यहीं पर गिर गया। देर तक ढूँढा, लेकिन मुझे नहीं मिला। मेरे बेटों ने मुझे बाहर निकाल दिया है।" सीमा ने कहा-, "अरे बाबा आप परेशान न हो, यह बैग आपका है?" बाबा उस बैग को देखकर खुश हो गये। उन्होंने कहा-, "बेटी! यह तुम्हारे पास कहाँ से आया?" तब सीमा ने बताया कि-, "मुझे यह यहीं पर मिला था और मैं इसको रोज लेकर आती थी कि शायद इसका मालिक मिल जाये।" जब बाबा ने खुश होकर बैग खोलकर देखा तो उसमें रुपए ज्यों के त्यों थे। तब बाबा ने कहा कि-, "बेटा! इस दुनिया में ईमानदार व्यक्ति बहुत कम होते हैं और तुम तो छोटे बच्चे हो लेकिन तुमने इसमें से एक भी रुपया नहीं लिया?" सीमा ने कहा-, "बाबा! हमारे माता-पिता नहीं है। हम अनाथ हैं, लेकिन मेरे तीन-भाई बहन हैं। उनका खर्चा चला लेती हूँ। मुझे और कुछ नहीं चाहिए।" बाबा की आँखों में पानी आ गया और सीमा को गले लगा लिया। बाबा ने कहा-, "बेटा! मैं तुम्हारा घर देखना चाहता हूँ।" जब वह सीमा के घर पर आये तो देखा कि घर का बहुत बुरा हाल था। घर में कुछ भी नहीं था। बाबा बोले-, "अच्छा ठीक है.. मैं आता हूँ।" बाबा ने जब अपने घर जाकर सारी कहानी बतायी और बेटों को बैग दिया तो उनके बेटों ने माफी माँगी। बाबा ने कहा-, "मुझे माफी देना चाहते हो, तो मेरा एक काम कर दो। यह बैग मुझे अनाथ बच्चों से मिला है, जिनके माता-पिता नहीं है और उनका बहुत बुरा हाल है।" बेटों ने कहा कि-, "हमको लेकर चलो।" और वे वहाँ पहुँचे। बाबा उन सभी बच्चों को अपने घर ले आये और सीमा से कहा कि-, "आप मेरे बेटों की छोटी बहन हो। आज से तुम सब यहाँ रहोगे, क्योंकि भाई-बहन का प्यार एक अटूट रिश्ता होता है और इस रिश्ते में खून का रिश्ता नहीं देखा जाता।" सीमा राजी हो गयी। उसे अपने भाइयों की परवरिश जो करनी थी। उसके तीनों भाई अच्छे स्कूल में जाने लगे। सीमा का जो घर था, उसको किराए पर दे दिया गया। उसकी जो आमदनी थी, उसे सीमा जमा करने लगी। सीमा के पास अब दो भाई नहीं थे बल्कि चार भाई थे। और बाबा के रूप में पिता का साया भी मिल गया। सभी बहन-भाई सभी खुशी-खुशी रहने लगे।

संस्कार सन्देश-
भाई-बहन का प्यार एक अटूट रिश्ता है और हमारी ईमानदारी के कारण यह चलता है।

लेखिका-
पुष्पा शर्मा (शि०मि०)
पी० एस० राजीपुर, अकराबाद (उ०प्र०)

कहानी वाचक-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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