177/2024, बाल कहानी-30 सितम्बर


बाल कहानी - योजना
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एक जंगल में एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ था। वह पेड़ जंगल के बीचों-बीच लगा था। उस जंगल का राजा शेर उस पेड़ के खोखले तने में छिप जाता और आते हुए जानवरों और मनुष्यों को खा जाता। कभी वह आस-पास ही दूसरी जगह छिप जाता और कभी किसी और जगह। कुछ दिनों बाद जानवरों और मनुष्यों ने वहाँ से गुजरना बन्द कर दिया। सभी शेर से परेशान थे।
जब शेर का आतंक बहुत बढ़ा, तब वन-विभाग की टीम शहर से बुलायी गयी। उस टीम के सदस्यों ने बरगद के पेड़ पर अपना डेरा डाल दिया।
कुछ दिनों तक जानवरों को वहाँ से निकलने दिया। शेर ने जानवरों का शिकार करने के लिए वहाँ छिपने की सोची और शेर पेड़ के खोखले तने में छिप गया। सोची-समझी रणनीति के तहत वहाँ एक गाय भेजी गयी। पेड़ के नीचे हरा चारा पहले से ही डाल दिया गया था। गाय पेड़ के पास जाकर हरा चारा खाने लगी। जैसे ही शेर ने गाय को देखा तो वह तुरन्त तने से बाहर आया और गाय पर झपटा। पेड़ के ऊपर वन टीम के सदस्यों ने तुरन्त जाल फेंक दिया। शेर जाल में फँस गया। जाल में फँसने के बाद भी वह दहाड़ता रहा लेकिन अब वह हमेशा के लिए कैद हो चुका था। सभी प्राणी निर्भय हो चुके थे। कुछ देर बाद पिंजरा मँगाकर उसे चिड़ियाघर भेज दिया गया।

संस्कार सन्देश-
खूँखार जानवरों से हमें दूर रहना चाहिए और उनके आतंक से बचने के लिए हमें तुरन्त वन-विभाग को सूचना देनी चाहिए।

कहानीकार-
जुगल किशोर त्रिपाठी
प्रा० वि० बम्हौरी (कम्पोजिट)
मऊरानीपुर झाँसी (उ०प्र०)

कहानी वाचन-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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