मानव मनुजाई पर फूल रहा है

मानव अपनी मनुजाई पर फूल रहा है,
जिसका बच्चा कूड़े के थैले संग झूल रहा है।

जाकर पूछ अरे! पशुओं से,
किसने यह करवाया।
किसने अपने बच्चों को,
ऐसा थैला पकड़ाया।
उसकी लाचारी पर तुझको,
तनिक न लज्जा आयी।
नन्हें हाथों से जब उसने,
जूठन तेरी खायी।
फिर भी तेरा मद ना अब तक चकनाचूर हुआ है,
जिसका बच्चा...........

हैं अनाथ इस अग जग में,
और किसी के बच्चे।
देखो इसमें भी हम मानव,
और सभी से अच्छे।
थोड़ा शीश झुका हो तेरा,
तो अब भी कुछ कर ले।
भाग दौड़कर नन्हें-मुन्नों,
को बाहों में भर ले।
उस दिन ही तू जग में सच्चा मानव कहलायेगा,
जिस दिन बच्चा-बच्चा अपने को सनाथ पाएगा।
क्या निकाल पायेगा तू, जो अब तक शूल रहा है
जिसका बच्चा...........

गरीब व अनाथ बच्चों को समर्पित

रचयिता
श्रीश कुमार बाजपेई  " प्रभात "
सहायक अध्यापक, 
उच्च प्राथमिक विद्यालय टण्डौना,
विकास खण्ड-हरियावां, 
जनपद-हरदोई।


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