हर घर हो उजियारा

दीप जलें फिर रोशन-रोशन
हर घर हो उजियारा
सुख समृद्धि के कदमों से
झूम उठे जग सारा
अंधकार न रहे धरा पर
कोना-कोना हर दुआरा
ढूंढ-ढूंढकर अंत करो अब
दूर करो अँधियारा
मत बनने दो केवल उत्सव
दिनभर का हरकारा
धुंध, घुटन और शोर-शराबा
न बहे नेत्र जल खारा
मत बनने दो केवल अभिनंदन
विजयी राम आगमन प्यारा
युग अंधकार पर विजय प्राप्त कर
तब मिलकर बोलो जयकारा
मत बनने दो केवल उत्सव
लक्ष्मी पूजन गणपति न्यारा
जब हो सुरक्षित भ्रूण गर्भ में
तब हो पूजन सफल हमारा
मत बनने दो केवल उत्सव
दीप से दीप जलाने भर का
रोशन कर दो निर्धन की कुटिया
दीपक बन का न्यारा

रचयिता
तिलक सिंह,
प्रधानध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय रतरोई,
विकास खण्ड-गंगीरी,
जनपद-अलीगढ़।

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