माँ मैं पढ़ने जाऊँगी

एक लड़की स्कूल में नाम लिखवाने के लिए  अपनी माँ से कुछ इस प्रकार निवेदन कर रही है

माँ तू देख बहुत प्यारी है,
विनती मेरी यह न्यारी है ।
बात सभी ने यह मानी है,
नर पे अब भारी नारी है ।
सबको अब यह बात बता दो,
स्कूल में चलकर नाम लिखा दो ।
प्रातःकाल मैं उठ जाऊँगी,
माँ मैं पढ़ने जाऊँगी ।

मुफ्त गणवेश है और किताबें,
जूते, मोजे, बैग पाऊँगी ।
सर जी मेहनत से खूब पढ़ाते,
अच्छी - अच्छी बात बताते ।
लड़की क्या-क्या कर सकती है?
चाँद तक भी जा सकती है ।
ये बात सभी को बताऊंगी,
माँ मैं पढ़ने जाऊँगी ।

पढूँगी मैं मेहनत करके,
होंगे पीछे लड़की से लड़के ।
तेरे जज्बात को समझूँगी,
झूठ नहीं माँ सच ही कहूँगी।
दुनिया देगी दाद तुम्हारी,
ऐसा मैं कुछ काम करूँगी ।
कापी पेंसिल रबर दिला दे,
माँ मैं पढ़ने जाऊँगी ।

माँ तुझको भी नाज होगा,
अपनी बहादुर बेटी पर ।
मातृभूमि का नाम करूँगी,
भारत का गुणगान करूँगी ।
माँ तू कभी दुखी मत होना,
मैं सिर्फ मनोहर काम करूँगी ।
सम्मान तेरा मैं बढाऊँगी,
माँ मैं पढ़ने जाऊँगी ।

रचयिता
मनोहर लाल गौतम,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय कनिगवाॅ, 
विकास खंड -बीसलपुर, 
जनपद- पीलीभीत।

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