१७८- रीना राणा, भटपुर कटका, भरावन, हरदोई

*🔷अनमोल रत्नों की परिवर्तन यात्रा🔷*

_📅दिनांक_
*21-11-2017*

🙋🏻‍♂ *_मित्रों_* आज हम आपका परिचय *📝मिशन शिक्षण संवाद* के माध्यम से बेसिक शिक्षा की _💎अनमोल रत्न_ *👩🏻‍🏫बहन रीना राणा जनपद- हरदोई* से करा रहे हैं। जिन्होंने ने अपनी सकारात्मक सोच से अशिक्षित और असहयोगी समाज के बीच रहकर भी अपने विद्यालय की परिवर्तन यात्रा को _✊🏼“कोशिश करने वालों की हार नहीं होती है”_ को चरितार्थ करते हुए पूरी की है। जो हम जैसे हजारों शिक्षकों के लिए प्रेरक एवं अनुकरणीय है।

_🤗तो आइये देखते हैं बहन जी की बेसिक शिक्षा में परिवर्तन यात्रा का संघर्ष और सफलता को:--_


💁🏻 *प्राथमिक विद्यालय भटपुर कटका, विकास क्षेत्र-भरावन, जनपद-हरदोई*

🙏🏼 मेरा नाम *👩🏻‍🏫रीना राणा* है। मैं *प्राथमिक विद्यालय भटपुर कटका, ब्लाॅक भरावन, जनपद-हरदोई़* में प्रधानाध्यापिका हूँ। मेरी नियुक्ति सर्वप्रथम *प्राथमिक विद्यालय दौलतपुर, ब्लाॅक-अहिरोरी, जनपद-हरदोई* में सन् 2009 में हुई थी। उसके बाद पारस्परिक स्थानांतरण द्वारा *प्राथमिक विद्यालय भटपुर कटका, ब्लाॅक-भरावन, जनपद-हरदोई* में माह फरवरी, 2010 में मैंने सहायक अध्यापिका के पद पर कार्यभार ग्रहण किया।

 मेरा निवास स्थान जनपद लखनऊ में स्थित है। प्रा0वि0, भटपुर कटका से मेरे निवास स्थान की दूरी लगभग 55 किलोमीटर है, जिस कारण शुरूआती दौर में 🚎चार बार बस, टेम्पो आदि बदलने के कारण मुझे अपने घर से विद्यालय तक आने में काफी समय ⏲व्यतीत हो जाता था। 🙆🏻कार्यभार ग्रहण करने के प्रथम दिन मैं विद्यालय की भौतिक स्थिति देखकर स्तब्ध रह गई, तभी मैंने अपने मन में स्वयं से ✊🏼दृढ़ संकल्प लिया कि मुझे प्रत्येक दशा में इस विद्यालय का सौंदर्यीकरण करना है तथा विद्यालय के बालक/बालिकाओं का मानसिक, शारीरिक व उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना है तथा तब तक नहीं रूकना है जब तक अपने लक्ष्यों की प्राप्ति न कर लूँ।

 मेरे शुरूआती दौर में विद्यालय भवन की भौतिक स्थिति अत्यंत जर्जर अव्यवस्था के साथ-साथ 🚻शौचालय, पेयजल व्यवस्था, छात्र/छात्राओं के लिए कक्षा में बैठने हेतु बेंच व फर्नीचर जैसी आधारभूत सुविधाओं का अभाव, रंग-रोगन कार्य, वृक्षारोपण व पौधरोपण कार्य, वार्षिक खेल-कूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम, रचनात्मक कार्यों, खेल-कूद, प्रतियोगिताओं एवं पुरस्कार वितरण कार्यक्रम आदि कार्यक्रमों की अनुपलब्धता तथा विद्यालय में वर्तमान की अपेक्षा पूर्व में विद्यार्थियों की उपस्थिति अत्यन्त न्यून थी। जिसमें वर्तमान में काफी वृद्धि हुई है। शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों में तनिक भी रूचि नहीं थी तथा अध्यापकों के प्रति छात्र/छात्राओं के मन में भय व्याप्त था।

 मैंने विद्यालय भवन के सौन्दर्यीकरण हेतु मरम्मत कार्य तथा रंग-रोगन कार्य पूर्ण कराया, जिसके पश्चात विद्यालय के भवन का सौन्दर्यीकरण हुआ। अध्यापन क्षेत्र में निकटस्थ गांव में घर-घर जाकर बच्चों/परिजनों को जागरूक कर बच्चों को विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने हेतु विद्यालय लाने का प्रयास किया गया, जिसके कारण विद्यालय में पूर्व की अपेक्षा वर्तमान में विद्यार्थियों की उपस्थिति की प्रतिशतता में वृद्धि हुई है। मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता, साफ-सफाई आदि का विशेष ध्यान दिया गया। विद्यालय के विकास कार्यों में ग्रामवासियों द्वारा भी अनेक ⚠बाधाएं उत्पन्न की गयीं। जैसे- विद्यालय प्रांगण में अतिक्रमण, छात्र/छात्राओं के खेल-कूद हेतु विद्यालय के ऊबड़-खाबड़, परिसर को समतल करने, 🌱पौधा/वृक्षारोपण करने, विद्यालय में चोरी रोकने व विद्यालय बंद हो जाने के उपरान्त विद्यालय की देख-रेख व संरक्षण हेतु अनेको  बार ग्रामवासियों से आग्रह किया गया तथा यह समझाने का प्रयास किया गया कि विद्यालय  सरकार की साथ गांववासियों की भी सम्पत्ति है, ❌परन्तु उनके द्वारा किसी भी प्रकार का सहयोग प्रदान नहीं किया गया। विद्यालय परिसर में विद्यालय की खिड़कियों में लगी लोहे की सरियाओं को काटकर चोरी कर लेना तथा उन सरियाओं को वेल्डिंग कराने के पश्चात पुनः फिर चोरी कर लेना, विद्यालय की दीवारों पर कोयला आदि से लिख कर दीवारें गंदी करना, चहारदीवारी न होने के कारण विद्यालय परिसर में व टूटी सरियाओं के कारण कक्षाओं में घुसकर शौच/गंदगी फैलाना तथा पौधों को तहस-नहस कर देना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ा।

 तत्पश्चात 👨🏻ग्राम प्रधान से भेंट कर ग्रामवासियों को विद्यालय के प्रति उनके कर्तव्यों केे सम्बन्ध में जागरूक किया गया, ताकि उनके द्वारा विद्यालय परिसर को अतिक्रमण मुक्त रखा जा सके तथा विद्यालय भवन की दीवारों को गंदी होने से रोका जा सके। विद्यालय की खिड़कियों में लगी सरियाओं के चोरी हो जाने पर मेरे द्वारा बारम्बार वेल्डिंग कार्य करवाया गया, ताकि कोई भी विद्यालय की कक्षाओं में घुसकर शौच/गंदगी न कर सके तथा कक्षाओं को साफ रखा जा सके। विद्यालय परिसर में छात्र/छात्राओं के सहयोग से पुनः पौधारोपण कराने के साथ ही उनको 🌱पौधों/वृक्षों के संरक्षण के प्रति जागरूक करते हुए उनके अनेकों लाभ से अवगत कराया गया।

इसके बाद निजी व्यय से विद्यार्थियों के बैठने हेतु बेंच व फर्नीचर, छात्र/छात्राओं के खेलने हेतु विद्यालय परिसर को समतल कराया गया (जो कि पूर्व में उबड़-खाबड़ था), खेल-कूद से सम्बन्धित सामग्रियां जैसे- 🏏बैट, बाॅल, लूडो, कैरम, कूदने वाली रस्सी, 🏸बैडमिंटन, ⚽फुटबाॅल आदि क्रय कर उपलब्ध कराया गया, ताकि छात्र/छात्राओं का मानसिक विकास के साथ-साथ शारीरिक विकास भी हो सके।  विद्यालय रंग-रोगन कार्य, अध्यापकों के बैठने हेतु फर्नीचर (कुर्सी, मेज), 🌳वृक्षारोपण व पौधारोपण कार्य, टूटी खिड़कियों का वेल्डिंग कार्य अपने निजी व्यय से उपलब्ध कराया गया। शिक्षा के प्रति छात्र/छात्राओं की रूचि में वृद्धि हेतु विद्यालय में शिल्पकला, रचनात्मक कार्यों की शुरूआत करके शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि की गयी तथा अध्यापक व छात्र/छात्राओं के मध्य व्याप्त भय को परस्पर मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित कर विद्यार्थियों के मन-मस्तिष्क में शिक्षा के प्रति विशेष रूचि उत्पन्न की गयी है, जिसके फलस्वरूप छात्र/छात्राएं निःसंकोच अध्यापकों से प्रश्नोत्तर कर अपनी जिज्ञासा शान्त करते है।
 राष्ट्रीय पर्व, 🎉क्रिसमस-डे व नव वर्ष आदि के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, रचनात्मक कार्यों, वार्षिक खेल-कूद, प्रतियोगिताओं एवं 🏆पुरस्कार वितरण कार्यक्रमों आदि का आयोजन कर विद्यार्थियों का उत्साहवर्द्धन किया गया।

 विद्यालय में छात्र/छात्राओं के सर्वांगीण विकास हेतु उन्हें पुस्तकीय ज्ञान के अतिरिक्त शिल्प कला, 👩🏻‍🎨चित्रकला (ड्राॅइंग), खेल-खेल में सजीव वस्तुओं जैसे-फल, फूल, पत्ती, पौधा आदि से शिक्षा प्रदान करना, 🤸🏻‍♀शारीरिक अभ्यास (पी0टी0) कराने की शुरूआत की गयी। इसके अतिरिक्त सर्वश्रेष्ठ शिक्षक व सर्वश्रेष्ठ छात्र/छात्रा पुरस्कार, कक्षा में 💯शत-प्रतिशत उपस्थिति पुरस्कार दिए जाने की शुरूआत, राष्ट्रीय पर्व, क्रिसमस-डे व नव वर्ष आदि के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, रचनात्मक कार्यों, वार्षिक खेल-कूद, प्रतियोगिताओं एवं पुरस्कार वितरण कार्यक्रमों आदि का आयोजन कर विद्यार्थियों का उत्साहवर्द्धन किया गया, जिसके पश्चात् बालक/बालिकाओं के व्यक्तित्व में वृद्धि के आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए।

☺ मैं हमेशा से ही समाज सेवा करना चाहती थी। ईश्वर ने मुझे प्रा0वि0 भटपुर कटका में नियुक्त कर एक स्वर्णिम अवसर प्रदान किया। आज मैं अपने द्वारा किए गए प्रयासों से संतुष्ट हूं तथा मुझे लगता है कि मेरा जीवन आज सार्थक हो गया। मुझे लगता है कि मैंने अपने विद्यालय में अध्य्यनरत बालक/बालिकाओं के जीवन में अशिक्षा के अंधकार को दूर करने के लिए एक दिया जलाकर चारों ओर प्रकाश फैलाने की शुरूआत की है............ तथा आशा करती हूं कि यह 🕯दिया सदैव ऐसे ही प्रकाशमान रहेगा। मित्रों यह है मेरे जीवन का संक्षित विवरण।
 🙏🏼धन्यवाद!

_👏🏼 अशिक्षित और असहयोगी समाज के लिए शिक्षा की जीवन ज्योति जगाने वाली *👩🏻‍🏫बहन रीना जी* को *📝मिशन शिक्षण संवाद परिवार* की ओर से बहुत-बहुत हार्दिक शुभकानाएं!_
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👉 मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--

👫 _आओ हम सब हाथ मिलायें।_
      _बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।_

👉🏼 नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें।

☀ आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थानक दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।

_उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का  Whatsapp No.- 9458278429 ईमेल- shikshansamvad@gmail.com है।_

*साभार:* _🗣शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ_

*विमल कुमार*
_कानपुर देहात_
21/11/2017

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